Mata ji ashram 05 rasvanti18plus
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It was a funny incident that happened with an Indian female monk, affectionately known as "Mata Ji," and me, involving buffalo milk. I was visiting a small ashram in a rural village, eager to experience the simple, spiritual life of the monks. Mata Ji, a wise and kind woman with a serene smile, invited me to join her for the evening ritual of preparing milk. She handed me a large, heavy brass pot filled with freshly collected buffalo milk and asked me to help churn it into butter.
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माता जी के दोनो थनो को हतेली में लेने के बाद उसको मैंने बाकायदा थोड़ी देर तक सुंगा
और कुछ वक्त तक चुमा भी और चाटा और काटा
इस दोरान मेरे दिमाग में एक खुराफाती आईडिया ने जनम लिया
माता जी के ऐसे अजीव और घरीव नायाव खजाने वाले थनो को इस तरीके से चुसा नहीं जा सकता
ये तो इन थनो की बैज़ती होगी मुझे कुछ खास खिदमत करना पड़ेगा
अपनी तरफ से एफट लगानी पड़ेगी
मैंने माता जी को थोड़ी दे इंतिजार करने को कहा और उन्हें समझा पुछा कर वहीं पे बिठा कर किच्चेन की तरफ भागा
माता जी तो थोड़ा रुखिये मैं किच्चेन से आता हूँ आपके लिए एक सर्प्राइज है रुखिये ना हा हा हा हा
इतना कहकर मैं किच्चेन की तरफ भागा
माता जी माता जी माता जी किच्चेन की टरफ कहा है दूद खा है दूद खा है दूद खा है दूद इस धुधारू भैंस के लिए दूद खा है
किच्चेन का लाइट आउन करके मैंने बरतन खंगाल डाले
दू तिन पतिले में दूद भर भर करके हुए थे लेकिन ये दूद कच्चे थे चलो अभी इसको घरम नहीं किया है कच्चा ही सही
माता जी के बड़े बड़े दुधारू ठैनों पे कच्चा दूद
अच्छा है न अच्छा है चले
बस वो एक पतिला लेकर उनमें मैं माता जी की तरफ भागा और उस टेवल के पर वो पतिला रख दिया
अब वो माता जी को अपने कभजे में लेकर कहा माता जी आये गया आपके लिए सर्प्राइज
और अपने अझुली में यानि की हतेली में थोड़ी बहुत दूद लेता था और उसको माता जी के गोलगमोड धनों पे डाल देता था
अह चा द्रिश्य है अधूत
अब ऐसे करके मैं चाटता रहता था माता जी के धनों को चुञचियों को कई दफा मैंने खरोज भी भयंकर डाले हैं उसमें
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